Sunday, March 8, 2015

महिला दिवस बाद में


मना लो अम्मा-चाची आज महिला दिवस

कल तुम्हारे छोटे बेटे की शादी है न 

फिर तो तुम भी हो जाओगी व्यस्त 

अपनी नई नवेली दुल्हन के स्वागत में 



बड़ी बहू ने तो सिर्फ बेटियां ही जनी है 

देखना इस बार कोई चूक न हो जाय 

बड़े-बुजुर्गों का उसे आशीर्वाद दिलवाने का 

पहले से ही कर लेना सारा प्रबन्ध 



टेंट-शामियाना, मेज-कुर्सी, चौकी-बेलन 

पड़ोसी के घर से एक छोटे से बच्चे का 

छुपा देना उस कलमुंही की बेटियों को 

रोते बिलखते किसी बंद कमरे में 



कहीं पड़ न जाये उनकी परछाईं कोहबर में 

झट से डाल देना दुल्हन की गोद में 

लड्डू खिलाते उस पड़ोसी के पोते को 

कल फिर मना लेंगे महिला दिवस 



(रचना त्रिपाठी)


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