Saturday, December 7, 2013

मैन-मनी-मसल पावर में महिला है मिसफिट

संसद के इस शीतकालीन सत्र में अगर महिला आरक्षण बिल पास नहीं होता है तो यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जायेगा कि संसद और विधानसभा में बैठे हुए पुरुष राजनेता महिलाओं को अपनी बराबरी में नहीं देखना चाहते हैं, या वह इस बात से डरते है कि महिलाएं इन्हें कही इस क्षेत्र में भी कंधे से कंधा न मिलाने लगें।

राजनीति में महिलाओं की बराबर की भागीदारी होना अब जरूरी ही नहीं बल्कि अपरिहार्य हो गया है। महिलाओं की योग्यता और उसकी क्षमता पर बार-बार प्रश्नचिह्न खड़ा कर के एक तरह से उसका मानसिक उत्पीड़न किया जाता है। स्त्री को अपने से कम आंकने की पुरुषों की नीयत सी बन गयी है । आज की तारीख में हर क्षेत्र का रिकार्ड उठाकर देख लेने की जरूरत है कि महिलाएं किस क्षेत्र में पीछे हैं। अंतरिक्ष से लेकर, चाहे पुलिस सेवा हो, सेना हो अथवा नेवी मे, महिलाएं अपनी योग्यता के बदौलत वहाँ आगे पहुंच रही हैं; लेकिन राजनीति के क्षेत्र में आशाजनक स्थिति नहीं बन पा रही है। आखिर क्यों नहीं?

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चित्र साभार : www.businessnewsthisweek.com

मुझे सुषमा स्वराज जी की यह बात सही लगती है कि राजनीति के प्रवेशद्वार पर अभी भी पुरुषों का ही पहरा है जो शायद महिलाओं को अन्दर नहीं जाने देना चाहते। शायद इस आशंका से कि महिलाएं उनकी कुर्सी पर कब्जा कर लेंगी और उन्हें अपनी जागीर छोड़नी पड़ेगी। इसमें स्पष्ट रूप से पुरुष नेताओं का अपना स्वार्थ हावी है। उनका अपना वर्चस्व बना रहे इसलिए वे राजनीति में महिलाओं के आने का रास्ता ही बंद कर रखे हैं। राजनीति में “मैन, मनी और मसल पावर” को सफलता की कुंजी मान लिया गया है क्योंकि आजकल जिस प्रकार चुनाव लड़े और जीते जाते हैं उसे देखकर यह सही भी लगता है। इसी ने इन पुरुष नेताओं को अहंकारी बना दिया है। उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी ने आज ही इलाहाबाद के एक माफिया डॉन को दुबारा पार्टी में शामिल करके संसद का चुनावी टिकट थमा दिया है।

ऐसे में महिलाओं की राह राजनीति में आसान नहीं है। लेकिन जहाँ भी महिलाओं को अवसर दिया गया है उन्होंने अपनी योग्यता का परिचय दिया है। राजनीति में नेतृत्व करने के लिए मसल और मनी पावर इस्तेमाल करना अवैध होता है। नेतृत्व हमेशा योग्यता के बल पर ही होना चाहिए परन्तु योग्यता की परिभाषा वह नहीं रह गयी है जो हम आप किताबों में पढ़ते हैं। आज के माहौल में तो महिला मिसफिट होती जा रही है; जबकि महिलाएँ ही इस स्थिति को सुधार सकती हैं।

महिलाओं का चुनाव क्षेत्र में उतरना इस समाज, देश, काल के लिए शुभ संकेत होगा। शायद बेहतर अनुशासन और साफ-सुथरा प्रशासन भी सामने आ जाये। ऐसा होने पर देश में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। सत्य की जय और झूठ का नाश होगा।

(रचना त्रिपाठी)

1 comment:

  1. Har khetra ki tarah rajneeti me bhi mahilaayen aage aayengi aur safal bhi hongi. Pravesh dvar par bahut din tak rok nahi lagee rah sakti. Achchha likha hai. (Mobile se comment is liye roman)

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